I got the idea of this poem from 'Splitsvilla 5' theme
song from 'Agnee'. Around 3 months back Agnee invited to complete the theme song
as it was having only 1 stanza. I started writing 3 months back but, yesterday was able to give some dedicated time…
कोई गम कहीं तेरा, है मेरा दिया
शायद अनजाने में कुछ, तूने भी किया
लगता है हर किसी में, हर कोई है छुपा
तोड़ के किसी का दिल, कौन है जिया
आँखें तेरी हो या मेरी हो
आँसू ना हो...आँसू ना हो...
कल तक था हर लम्हा, हमने भी संग जिया
मौसम के हर एक रंग को, एक प्याले में पिया
था सूरज संग और साथ में था चंदा
अब लगता है वो सब, सपना खुली आँखों का
आँखें तेरी हो या मेरी हो
हो बस मुस्कुराहटें...
मुस्कुराहटें...
तेरी हर अदा पर होती थी अठखेलियाँ
दरिया की लहेरों संग हरकत बच्कानियाँ
बारिस की बूंदों संग कुछ शैतानियाँ
और हवा के झोकों संग तारों की गिनतियाँ
आँखें तेरी हो या मेरी हो
हो बस मुस्कुराहटें...
कुछ अनजाने सवालों की नादानियाँ
और कुछ अधूरे जवाबों की गलतियाँ
कुछ जो नक्शों में दिखती हैं बस दूरियां
सब बन गयी अब रातों की खामोशियाँ
आँखें तेरी हो या मेरी हो
आँसू ना हो...
कोई गम कहीं...
आँखें तेरी हो या मेरी हो...
शायद अनजाने में...
आँखें तेरी हो या मेरी हो...
आँसू ना हो...आँसू ना हो...