Wednesday 30 September 2015

बुद्ध बनने की चाह...

कल देखा था
आज भी देखा
कूड़े के ढेर में सोया हुआ पागल
ऐसे दृश्य अब बस दृश्य हैं
कोई सत्य नहीं...

क्या मर चुका है मेरे अंदर का सिद्धार्थ ?
अगर हाँ,
तो, क्यों जिंदा है बुद्ध बनने की चाह ? 


Saturday 26 September 2015

मैं एक्स-आर्मी हूँ !

पल्टनों का शोर अब मुझे सुनाई नहीं देता
अब मैं खबरें पढ़ता हूँ पलटनों की अखबार में

आजकल मैं खुद एक खबर हूँ
आजकल मेरी एक पल्टन लड़ रही है एक अलग सी लड़ाई
एक पुरानी लड़ाई,
लड़ाई जो पहले कुछ कागजों और कमरों में बंद थी
आज दिख रही है सबको


मैं एक्स-आर्मी हूँ
मैं एक योद्धा हूँ
मैं केवल रिटायर हुआ हूँ
लड़ने का दम-ख़म आज भी मेरे संग है
मैं युहीं एक्स नहीं बना
मैंने ए से शुरुवात की थी
मैं पहले भी लड़ता था
और आज भी लड़ रहा हूँ  
मैं तब तक लड़ता रहूँगा
जब तक जेड की जड़ता मुझे सुला नहीं देती...



Monday 21 September 2015

हर सिपाही लिखता है एक कविता...

हर सिपाही लिखता है एक कविता

कविता शौर्य की
कविता साहस की
कविता बलिदान की
कविता स्वाभिमान की

कविता अनदेखी संवेदना की
कविता अनोखे त्यौहार की
कविता बिछड़े यार की
कविता देश से प्यार की

कविता बर्फीली सुबह की
कविता रेगिस्तानी धूप की
कविता अकेली साँझ की
कविता बँकर से दिखने वाले चाँद की

ये कविता कभी ख़त्म नहीं होती
ये कविता चलती रहती है सिपाही संग
सिपाही शर्माता है इस कविता को कागज पर लिखने से
उसे डर है, कि फतांसी दुनिया में रहने वाले सिविलियन्स उसके सच को फतांसी ना समझ लें

कभी मौका मिले तो पहनना सच का चश्मा
और पढ़ना किसी सिपाही यार को... 



Tuesday 15 September 2015

हिंदी ग्लोब्लाइज़्ड दौर में...

आपने सुना होगा आजकल हिंदी दिवस के बारे में
पूरा पखवाड़ा चलता है हिंदी के उत्थान के लिए

हिंदी के इतिहास का मुझे ज्यादा पता नहीं
बस इतना पता है, सिंधु घाटी सभ्यता में ये जन्मी और फली-फूली

आइये कुछ बात करें इसके वर्तमान पर
हिंदी इंडिया के अलावा कुछ और देशो में भी बोली जाती है
देश जहाँ इंडियंस भारी मात्रा  में पहुंचे हैं
हिंदी फिल्मों को भी खासा महत्व दिया जाता है हिंदी की पहचान ग्लोबल बनाने के लिए
इसके बदले में हमारी फिल्मों को खुली छूट है शुद्ध हिंदी का प्रयोग कॉमेडी सीन में करने के लिए
शुद्ध हिंदी, हिंदी का ही एक एडवांस वर्ज़न है, जो आपको आसानी से दिख जायेगा आस्था चैनेल में
अगर आप ज्यादा ही क्यूरियस हैं तो कुछ किताबों में आपको इसके दर्शन हो जायेंगे
इन किताबों के नाम ज्यादा फेमस नहीं हैं
आपको बुकस्टोर में हिंदी सेक्शन चेक करना पड़ेगा

आपको शायद पता होगा, ये जी. के. का भी एक सवाल है
अटल जी का यू एन भाषण आज भी इतिहास है
इतिहास दोहराने का साहस हमने किया तो है, लेकिन ज्यादा नहीं
आप इस बात से अंदाजा लगा सकते हैं हिंदी बोलने के लिए साहस की जरूरत पड़ती है
साहसी कहलाना हमें पसंद नहीं है, अब हम कूल हैं

हिंदी से रिलेटेड कुछ और तथ्य भी हैं
अब हम 'भारत के नागरिक' कुछ सरकारी कागजों में हैं, जो केवल हिंदी में उपलब्ध हैं
ज्यादातर कागजों में हम अब सिटी जन हैं इंडिया के
अब हम ग्लोबलाइज़ेशन के दौर में हैं 
कुछ विद्वानों ने तर्क दिया है कि इस दौर की दौड़ में हिंदी के प्रति लगाव रखना भावात्मक मूर्खता है
मैं उनके तर्क से सहमत हूँ
मैंने अब हिंदी लिखना छोड़ दिया है
अब मेरी इंग्लिश टाइपिंग को सॉफ्टवेयर हिंदी में ट्रांसलेट करता है...


Thursday 10 September 2015

खबर तैयार है...

टीवी की आंच न्यूज़ चैनल पर सेट कीजिये
मसाले किसम-किसम के उपलब्ध हैं मौसम अनुसार

राजनीति, धर्म, सेंसेक्स, क्रिकेट, सास-बहु,बॉक्स ऑफिस, सनसनी वगेरह वगेरह
आप थोड़ा मसालों की लिस्ट पढ़ें, तब तक हम कोल्ड स्टोरेज से कीमती खबर लाते हैं

जानकारी के लिए आपको बता दें

हमारी एक लैब भी है, जहाँ हम खबरें उगाते हैं
उन्नत देशी-विदेशी नस्लों की खबरें
कुछ खबरें जो हॉट होती हैं वो लैब से सीधा यहाँ आ जाती हैं, बाकि कोल्ड स्टोरेज में जाती हैं
जब तक हम खबर तैयार कर परोसते हैं
तब तक आप विज्ञापनों का आनंद लें...


अब आप स्वाद लीजिये खबर का
हमें पूरा भरोसा है धीरे-धीरे आपको इन मसालों की आदत पड़ जाएगी
जाते-जाते डेज़र्ट का आनंद लें
डेज़र्ट आज भी वही पुराना, सच की चासनी में डूबा हुआ आज का सवाल
घबराइये नहीं मसालों को पचाने के लिए रसगुल्ला पारम्परिक है
आप रसगुल्ले का मज़ा लें

स्वाद कैसा लगा जरूर बताइयेगा हमें
भूलियेगा मत हमें ट्विटर पर फॉलो करना...