Tuesday 15 September 2015

हिंदी ग्लोब्लाइज़्ड दौर में...

आपने सुना होगा आजकल हिंदी दिवस के बारे में
पूरा पखवाड़ा चलता है हिंदी के उत्थान के लिए

हिंदी के इतिहास का मुझे ज्यादा पता नहीं
बस इतना पता है, सिंधु घाटी सभ्यता में ये जन्मी और फली-फूली

आइये कुछ बात करें इसके वर्तमान पर
हिंदी इंडिया के अलावा कुछ और देशो में भी बोली जाती है
देश जहाँ इंडियंस भारी मात्रा  में पहुंचे हैं
हिंदी फिल्मों को भी खासा महत्व दिया जाता है हिंदी की पहचान ग्लोबल बनाने के लिए
इसके बदले में हमारी फिल्मों को खुली छूट है शुद्ध हिंदी का प्रयोग कॉमेडी सीन में करने के लिए
शुद्ध हिंदी, हिंदी का ही एक एडवांस वर्ज़न है, जो आपको आसानी से दिख जायेगा आस्था चैनेल में
अगर आप ज्यादा ही क्यूरियस हैं तो कुछ किताबों में आपको इसके दर्शन हो जायेंगे
इन किताबों के नाम ज्यादा फेमस नहीं हैं
आपको बुकस्टोर में हिंदी सेक्शन चेक करना पड़ेगा

आपको शायद पता होगा, ये जी. के. का भी एक सवाल है
अटल जी का यू एन भाषण आज भी इतिहास है
इतिहास दोहराने का साहस हमने किया तो है, लेकिन ज्यादा नहीं
आप इस बात से अंदाजा लगा सकते हैं हिंदी बोलने के लिए साहस की जरूरत पड़ती है
साहसी कहलाना हमें पसंद नहीं है, अब हम कूल हैं

हिंदी से रिलेटेड कुछ और तथ्य भी हैं
अब हम 'भारत के नागरिक' कुछ सरकारी कागजों में हैं, जो केवल हिंदी में उपलब्ध हैं
ज्यादातर कागजों में हम अब सिटी जन हैं इंडिया के
अब हम ग्लोबलाइज़ेशन के दौर में हैं 
कुछ विद्वानों ने तर्क दिया है कि इस दौर की दौड़ में हिंदी के प्रति लगाव रखना भावात्मक मूर्खता है
मैं उनके तर्क से सहमत हूँ
मैंने अब हिंदी लिखना छोड़ दिया है
अब मेरी इंग्लिश टाइपिंग को सॉफ्टवेयर हिंदी में ट्रांसलेट करता है...


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