जब धूप
बढ़ेगी गर्मी में,
तुम
आना
मैं छाँव बनाके बगिया में,
इन्तजार करूँगा
जब बारिश
होगी पहली,
तुम
आना
मैं नाव
बनाके कागज की,
इन्तजार करूँगा
जब पत्ते
गिरेंगे पतझड़ में,
तुम
आना
मैं नाम
लिखके पत्तों पर,
इन्तजार करूँगा
जब बर्फ
गिरेगी पहली,
तुम
आना
मैं गुड्डा
बनाके बर्फ का,
इन्तजार करूँगा
जब फूल
खिलेंगे बसंत में,
तुम
आना
मैं माला
बनाके फूलों की,
इन्तजार करूँगा
तुम बिन
मौसम भी आना
तुम किसी
भी दिन चले आना
मैं नैन
बिछाके पलकों पे,
इन्तजार करूँगा
तुम आना
तुम आना जरूर...
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