nomad on a soul searching JOURNEY...
Thursday, 8 December 2016
मैं उल्का हूँ...
मैं उल्का हूँ
नभ में विचरण करता हूँ
मेरी कल्पनाओं का बल मुझे वेग देता है
यही वेग जब बढ़ता जायेगा
तो मैं चमकूँगा तारों सा
या घुल जाऊंगा किसी नेब्यूला में
अन्यथा
गिरूँगा धरा पे
जिस दिन गुरुत्व का आकर्षण मुझे जीत लेगा...
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