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Friday, 15 February 2013

Dates are meant for Calendar only...


‘So how was your V-day,’Ram said. ‘Dates are meant for Calendar only,’I said while adjusting my chair. ‘You have all answers ready or just excuse,’Ram said with smile. ‘Some years back this date used to be special for you, when you were in college,’Ram continued. ‘Yes...you won’t believe I never went to college on V-day,’I said. ‘What...you mean to say in all four years?’Ram said. ‘Yes in all four years...In first year we started towards college but went to pool club on our midway and ended up watching ‘Black’, Bollywood movie, nice movie. In second year we woke up late as usual, played games on system and boozed as usual. In third year had a good amount of Vitamin D with tea, momos and noodles and the best thing bought 1 very good blazer on V-day offer sale. In fourth year, we played cards, had noodles with ginger tea and yes in evening I went for haircut. Haircut was special as it was after 1 year or something,’I took a pause.
‘So you enjoyed with your girlfriends or?’Ram said. ‘Ohhh no no... this we is not that, what you are thinking,’we’ friends,’I said.
‘You are making fun out of yourself, you can write a book,’Ram said.
‘One more thing I forgot to mention, when we went for movie in first year, girls with their boyfriends were looking at us...it was awesome,’I smiled.
Hahahaha...when are you writing a book...

Saturday, 24 March 2012

कहानी SONY-CID की...

इस घटना के सभी पात्र काल्पनिक हैं. अगर इसका सम्बन्ध आपकी किसी सच्चे अनुभव से है तो ये मात्र एक संयोग होगा. अगर किसी की भावनाएं आहात हुई तो उसके लिए छमा करें...

ऑफिस से थका हारा  घर  को  आया,
System पे गाना फुल volume में चलाया.
सांवरिया Style में  towel घुमाया,
Shower को अपना गाना सुनाया
फिर अदरक वाली चाय संग,
Britannia Marie Gold का  तड़का लगाया.
इधर- उधर कुछ फोन घुमाये,
फिर सोचा कुछ news हो जाये.
स्टाइल में remote का  button दबाया,
TV पे  जाना पहचाना  सा  चेहरा पाया...

Ohh no...

फिर बड़ी आसानी  से  खुद  को  समझाया.
The variable is SONY, then obviously default value CID ही  होनी.
वो दया का मुस्कुराता हुआ चेहरा पाया,
Forensic expert के logic को पचाया.
गोली कहाँ से कितनी दूर से चली,
फिर आकर ACP साब ने बताया.
अभी तो ये शुरुवात थी,
आगे पूरी रात थी.

Case as usual दिलचस्प  था,
इसी बहाने मैं भी mind exercise में व्यस्त था.

Oho then suddenly a break…

Now it’s time to play some mind game,
that’s why I switched off the TV again.
फिर  door bell के साथ में चिल्लाने की आवाज़ आई…
अड़े NeOOOOOO…
Mr Anderson was at the door...

Hey what about the market scene man,
Oracle BABA ने कुछ नाम बताये थे.
Shares going up or down again ?

अब फिर से स्टाइल में remote दबाया,
और share market का हाल सामने पाया.
Market scene was quite fine,
Now my turn to catch the time.

SONY- CID के प्यार के दम पर,
सोचा कुछ कमाई हो जाये.
Mr Anderson को बोला plug to SONY,
कुछ serious comedy हो जाये.

Mr Anderson : णा पगला  गया  छोरे, यो  कोण सा  time है  CID का ?

ये  मूरख क्या जाने  SONY-CID का प्यार,
वक़्त  की  नजाकत को लपक मैंने किया फिर अगला वार.

Me : OK सो-सो  रूपये  की  शरत हो  जाये .
Mr Anderson: शरत घोड़ों  पर लगायी जाती  है, शेर पर नहीं  !!!

/* CID is शेर , इतने time  से लोगों  के  दिलों  में  और  TV पर  राज  कर रहा है ...
CID was from fav list of Mr Anderson, एक शेर का मालिक ही जाने है उसको चारा कब डालना है */

Mr Anderson: दे  लगा  पञ्च -पञ्च सो  की शरत
Me : OK OK...देखना  पड़ेगा...
Mr Anderson: दे  क्या  देखना  पड़े…दे  देणा आराम से...
Me: OK done...
तो  ले...TV got some rays coming out of remote

Mr Anderson: णा  क्या  हो  गया  यो…ना मतलब  कैसे ???

Me: अबे  इतना  CID देखा  पर  तू  SONY-CID का  प्यार  ना  पहचान  पाया.
अबे  इनके  प्यार  की  खबर  भी  है  तुझे, किस्सों  में  ही  hard -disk भर  जाये.

चल  छोड़  तू  क्या  जाने, प्यार  क्या  होता  है...

Case भी  अब  तक  solve था , खुशियों  का  माहौल  था .
फिर  ACP साब ने आकर, किया सबको  खबरदार.
और Mr Anderson को  पता  चला  क्या  होता  है सच्चा  प्यार.
CID तो  बना ही SONY के लिए है, आता  रहेगा  बार -बार...
बार-बार हर बार लगातार... 

जिंदाबाद -जिंदाबाद  SONY-CID का  प्यार  जिंदाबाद !!!

P.S. I wrote this 2 years back when SONY-CID was in committed  relationship. Now  because of 'Crime-Patrol' there are some misunderstanding in their relationship, hope everything will be fine soon.



Sunday, 13 November 2011

कुछ अजीब ख्यालों का ख़ास बन जाना...

कुछ अजीब से ख्याल आते रहे
जाने क्यूँ...
मैं जान भी ना सका और तुम कुछ ख़ास बन गए
जाने क्यूँ...
अब वो ख्याल अजीब लगते नहीं
कि हर एक ख्याल में अब होती हो तुम्ही... 

आखिर क्या है और क्यूँ है ?
जैसे किसी मौसम की दस्तक संग नए पंछियों का चहचहाना
शाम की सुस्त करवट संग खिड़की के पास बैठ करारी चाय पी जाना
टी वी पर आने वाले हर चेहरे में वो एक शक्ल खोजते जाना
मेसेज बॉक्स में पड़े वो मेसेजेस बन जायें जब हँसने का बहाना
उन बेतुकी बातों में भी अपना दिमाग लगाना
और जाने क्या सोच सोच कर यूँ ही खुद में हँसते जाना
शायद कुछ ऐसा ही होता है
कुछ अजीब ख्यालों का ख़ास बन जाना...


Sunday, 25 September 2011

प्यार ये मेरी समझ में कभी ना आना...

ये फालतू के मेसेज पढ़ हंसने का बहाना,
प्यार ये मेरी समझ में कभी ना आना .
वो रातों  को जागकर मौसम के हाल एक दूजे को सुनाना ,
प्यार ये मेरी समझ में कभी ना आना .




लम्बे से फ़ोन के bills में यारों को फर्जी से logic बताना ,
प्यार ये मेरी समझ में कभी ना आना .
वो ढाबे का मस्त खाना छोड़ कैंटीन में फालतू टाइम बिताना,
प्यार ये मेरी समझ में कभी ना आना .
अपने जरूरी काम छोड़ के, बंदी के फ़र्जी काम करवाना ,
प्यार ये मेरी समझ में कभी ना आना .
थोडा देर जो क्या हो गयी तो पूरे दिन उनको गुस्से का license दिलाना,
प्यार ये मेरी समझ में कभी ना आना .
आज dinner में क्या खाया, कल नास्ते में क्या है बनाना,
प्यार ये मेरी समझ में कभी ना आना .
रातों को जाग जाग कर atleast दस बार take care, chweet dreams गुनगुनाना,
प्यार ये मेरी समझ में कभी ना आना .

छोटी-छोटी सी बातों पे brk-up का नाटक लगाना,
वो बेकार सी choice को ultimate बताना
romantic movie देखने के बाद संग जीने-मरने की कसमें खाना
गंभीर बातों पे v r just gud frns का safe हथियार चलाना.

अब मैं ज्यादा क्या बोलूं,
पूरी जनता ने देख ही लिया है प्यार का पंचनामा.
but जान कसम ये जो प्यार है ना,
सच में मेरी समझ में कभी ना आना...

P.S. this poem is d result of hangover of d movie "प्यार का पंचनामा"...
P.S. sorry if I am hurting someone's feeling, कृपया जज्बातों को सम्हाल के रखें...

Wednesday, 21 September 2011

एक परी अकेली सी...

ये food-court सच में बड़ी अनोखी जगह है...
अलग अलग खाने के संग परियां भी दिखती हैं मुझे.
खाना तो कुछ ख़ास मिलता नहीं यहाँ,
हाँ परियां सब ख़ास हैं मेरे लिए.
या यूँ कहूँ इन परियों की वजह से ये जन्नत है मेरे लिए.  
मुश्किल से ही कोई परी अकेली दिखती है...

अभी कुछ 2-3 हफ्ते पहले की बात है एक परी दिखी थी अकेली सी
भीड़ ज्यादा पसंद नहीं उसे, कुछ देर से ही आती है वो.
यूँ तो भीड़ मुझे भी कुछ ख़ास पसंद नहीं,
पर ज्यादातर परियां इसी भीड़ संग ही दिखती हैं...

ये परी एक चश्मा भी लगाती है,
और अपने अकेलेपन में सम्हालती रहती है उसे बार-बार.
खाना खाते हुए फोन पर जाने क्या पढ़ती रहती है . 
टेबल भी हमेशा अकेली ही होती है उसकी...

अभी उस दिन शाम को CCD पर दिखी थी फिर से
इस बार उसके संग एक किताब थी जिसने आज फोन की जगह ली थी
बैठी थी कोने में कुछ 3-4 टेबल संग
मैंने अपने यार को बताया तो उसे उसके looks में attitude सा नजर आया
पता नहीं...

मैंने देखी है उन आँखों की मासूमियत .
दुनिया को उसका attitude दिखता है पर शायद अकेलापन नहीं.
सच में इस परी को कभी हँसते देखा तो मैंने भी नहीं
जाने कौन सी दुनिया में खोयी रहती है
इतना अकेला तो मैं अपनी तन्हाई मैं भी होता नहीं...

परी है ना...
शायद इंसानों के बीच आकर सहम सी गयी है...
    
P.S. thought of writing a story, but for the time just free flow of thoughts :)   

Wednesday, 24 August 2011

प्यार, इश्क और मोहब्बत...

This poem is a work of FICTION. If there is any similarity with anyone, it’ll be just a COINCIDENCE. My intention is not to hurt someone’s feelings, but still if someone hurts than, I sincerely apologize. 

इश्क  चीज  है  क्या  ये  बन्दे , आज तुम्हे  मैं  ये बतालऊँ,
exactly तो  पता  नहीं , एक -आधा किस्से  ही  सुनाऊं...

दिल  है पतंग, उड़ा इधर  -उधर,
कुछ  ऊँचा -नीचा, कोई  थी  ना   डगर.
कोई  लूट  ले  गया  ये पतंग,
और  दिखा  गया है  इश्क दा  रंग.
फिर  उडी  पतंग जो  डोर  संग,
और दिखे  दुनिया  दे  नए -नए रंग.
पतंगों  की  भीड़  में,
कुछ ऊँचे  और  ऊँचे ही  उड़े.
कभी  कट  भी गए  badluck से गर,
संग  नयी  ले डोर उड़े.

......................................

इश्क  के  मैदां  में जो कूदा,
उसे  दिखा फिर  कोई ना दूजा

कोई जज्बाती   बन  जाये,
और शादी  सपनो  में भी सजाये.

कोई कहीं दुल्हनिया भगाए,
कोई है घर  वालों  से मिलाये.

जज्बातों  में बहते  जाये,
pizza-hut में बिल  वो  बढाये.

यार्रों  संग खोपचे  में जाये,
प्यार  संग CCD आजमाए.

उनके  संग mac-D हो  जाये,
बाकी  दिन  बंद -मख्खन  खाए.

कुछ दीवाने  gym भी जाते,
सल्लू  बनने  की कसमें  हैं खाते.

कुछ ने तारे  भी हैं तोड़े,
फिर कहीं से दिल  के तार ये जोड़े.

कहीं किसी ने रब है खोजा,
कुछ चले  किसी  संग फिर पकड़ा दूजा.

कुछ तो seriously रात  भर हैं रोते,
फिर भी कहाँ  ये किस्से  ख़त्म युहीं  हैं होते...

मैंने  तो  इतने  ही जाने,
बाकी  तुम  भी हो सयाने.
तुम भी कहाँ इससे  अनजाने.
लिखने  लगो  तो diary भर दो,
कुछ गलत  लिखा, किसी का  दिल दुखा...तो मुझे  माफ़ कर दो.

मुझे माफ़ कर दो…