Sunday 25 September 2011

प्यार ये मेरी समझ में कभी ना आना...

ये फालतू के मेसेज पढ़ हंसने का बहाना,
प्यार ये मेरी समझ में कभी ना आना .
वो रातों  को जागकर मौसम के हाल एक दूजे को सुनाना ,
प्यार ये मेरी समझ में कभी ना आना .




लम्बे से फ़ोन के bills में यारों को फर्जी से logic बताना ,
प्यार ये मेरी समझ में कभी ना आना .
वो ढाबे का मस्त खाना छोड़ कैंटीन में फालतू टाइम बिताना,
प्यार ये मेरी समझ में कभी ना आना .
अपने जरूरी काम छोड़ के, बंदी के फ़र्जी काम करवाना ,
प्यार ये मेरी समझ में कभी ना आना .
थोडा देर जो क्या हो गयी तो पूरे दिन उनको गुस्से का license दिलाना,
प्यार ये मेरी समझ में कभी ना आना .
आज dinner में क्या खाया, कल नास्ते में क्या है बनाना,
प्यार ये मेरी समझ में कभी ना आना .
रातों को जाग जाग कर atleast दस बार take care, chweet dreams गुनगुनाना,
प्यार ये मेरी समझ में कभी ना आना .

छोटी-छोटी सी बातों पे brk-up का नाटक लगाना,
वो बेकार सी choice को ultimate बताना
romantic movie देखने के बाद संग जीने-मरने की कसमें खाना
गंभीर बातों पे v r just gud frns का safe हथियार चलाना.

अब मैं ज्यादा क्या बोलूं,
पूरी जनता ने देख ही लिया है प्यार का पंचनामा.
but जान कसम ये जो प्यार है ना,
सच में मेरी समझ में कभी ना आना...

P.S. this poem is d result of hangover of d movie "प्यार का पंचनामा"...
P.S. sorry if I am hurting someone's feeling, कृपया जज्बातों को सम्हाल के रखें...