Tuesday 6 September 2011

यादों की बोतल...

आज सोचता हूँ यादों की बोतल संग माहौल बनाया जाये.
भरी पढ़ी हैं हर कोनों में कहीं ना कहीं.
वो नयी वाली कुछ पड़ी हैं टेबल के ऊपर, कुछ सामने सजी हैं उस शीशे के अन्दर,
कुछ अलमारी में, तो कुछ कड़वी वाली उस बक्से में जिसकी चाबी खो गयी है.
वो शीशे वाली आजमाई जाए, कुछ ज्यादा ही मज़ा देती हैं...

कविता का प्याला, पुरानी तस्वीरों  का पानी और music का snacks.
सूट्टा तो मैं खुद से आज भी नहीं जलाता, यारों संग ही धुवां बांटने की आदत है...

पहला पेग कुछ ज्यादा ही hard बन गया
और मैं भी सीधे ढाबे पर पहुँच गया
दो पराठे और चाय का आर्डर दे देता हूँ
सबने अपने आर्डर दे दिए हैं, मैगी, मोमो, fried rice, थुप्पा, सूप...
कुछ  केवल चाय  संग धुवां लेंगे बस
आर्डर आने में टाइम है अभी, मैं भी अपना दूसरा पेग ले लूँ ...

दुसरे पेग के बाद याद आया 200 rs उधार लिए थे दोस्त से
सोचता हूँ आज पार्टी हो जाए,
अब सबके सामने लिए थे तो दे भी दूँ.
अब तक आर्डर भी आ गए हैं सबके और शुरू हो गया है वो प्यार बांटने का सिलसिला...

चाय भी आने ही वाली है तब तक मैं एक और पेग ले लूँ
आज तो 200 rs कमाए हैं अपने यार ने बिल तो उसे ही है भरना...

मैं भी अपना प्याला भर दूँ नए पेग से
अब थोडा धुवां बाँट लूँ...
अड्डे पे चलने का टाइम हो गया है शायद,
सबकी bikes ready हैं...

मैं भी सोचता हूँ आज के लिए 4 पेग ही काफी हैं.
कल ऑफिस भी जाना है...
ज्यादा पियूँगा तो यादों का hangover काम नहीं करने देगा...


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