Tuesday, 23 August 2011

आँसुवों का इंधन...

मेरे सपने भी ऊँची उड़ान नहीं भरते आंसुवों के इंधन बिना
कुछ ज्यादा ही महंगा है

आँखों को सूख जाना ही अच्छा लगता है अब... 


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