Sunday 14 August 2011

क्या है आखिर आज़ादी की कहानी ?

क्या है आखिर आज़ादी की कहानी ?
बचपन में कुछ पढ़ी किताबें जो कहती थी कुछ और कहानी.
भगत, आज़ाद , सुभाष जैसे  कुछ वीरों की निशानी.
क्या वक़्त संग हम भूल गए इन वीरों की बातें बलिदानी.
या फिर कुछ मसरूफ हैं हम सारे हिन्दुस्तानी.
इतना कुछ क्यूँ बदल गया अब हर हिन्दुस्तानी ?




क्या कुछ नहीं देखा हमने, क्या कुछ नहीं सहा सबने . 
आज़ादी के बाद आज भी, दुश्मन की आनी- जानी.
वो दुश्मन तो दूर के थे, उनकी अब क्या बातें लगानी.
आज का दुश्मन भ्रस्टाचार, जिसकी अपनी लम्बी कहानी...

नेता बोलते हैं खुद को, नेत्रित्व की बातें कहाँ इन्होने जानी.
खुद लूटते हैं भारत माँ को और बतलाते सच्चा हिन्दुस्तानी.
भ्रस्टाचार की खाते हैं और सुनाते जनता को INDIA Shining की कहानी.
जिनके जिम्मे सौंपा देश, उन्होंने बस राज करने की बातें ही जानी
हैं लूट रहे बस देश को अब और सुनाते GDP growth की कहानी
रस्म निभाते बस हैं जश्न का ये फिर बस झूठे वादों की झूटी कहानी.

युद्ध लड़े हैं कई हमने, याद हैं मुझको वो कुछ बातें मुंह जुबानी.
तिरंगे में लिपटी वो मासूम सी जवानी, 
और फिर हवा में छुटती वो 21 तोपों की सलामी.
इन निशानियों के दम पर ही आज हैं हम हिन्दुस्तानी ...

कब तक युहीं दबते जाओगे, भ्रस्टाचार को और बढाओगे.
तुम युवा हो अब वायु बन, अपने अर्थ को सिद्ध कराओगे.

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धमनियों में बहता रक्त है या फिर कोई रंगीन सा पानी.
रणभूमि सजी है आज फिर भ्रस्टाचार की जढ़ है मिटानी.
खून कहाँ कोई मांगता है बस हमको आवाज़ उठानी.
इस रण को जीतो फिर समझो ये आज़ादी की कहानी.  
                                                                            ~ जय हिंद

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