आज यादों
के दरवाजे पे एक दस्तक हुई
और जाना
पहचाना सा एक चेहरा नजर आया
कुछ
धुंधला सा था वो
और मैं
पहचान ना सका
पर कुछ
बात थी उसमे ना जाने क्यों आलम थम सा गया
आये कई
चेहरे सामने, कुछ पुराने कुछ अनजाने
और साथ आई
एक हसीन यादों की चमक
इस उलझन
के अँधेरे को मिटाने
आंसू बस
निकलने को थे
पर वादा
जो किया था उनसे
कि ना
आएगी कभी इन आँखों में नमी
मानो की
उस लम्हे ने उस वादे को जी लिया
होठों पे
एक मुस्कराहट सी आयी
जो उन
खुशनुमा पलों की तस्वीर सामने लायी
थोड़ा
मुश्किल से हुआ ये यकीन
मेरा कल
था इतना हसीन
वो
छोटी-छोटी सी बातों में भी
खुशियाँ
होती थी मेरे संग
और जिंदगी
जीने का था
अपना कुछ
लगा ही ढँग
शायद कुछ
बात थी तुम्हारे साथ में
नजरें
हटती ही नहीं थी तुम्हारे चेहरे से
या यूँ
कहो तुम्हारी आँखों में
और कभी
ख़त्म ना होने वाली बातों से ही दुनिया देखता था मैं
तुम्हारी
मासूम सी आँखें कभी देख ना पायी इस बदलती दुनिया का रंग
और मैं भी
जान ना सका वक़्त संग बदलने का ढ़ंग
जब होश
आया तो बस जाना कि वक़्त और दुनिया संग
बदल गए
हैं हम दोनों भी
हाँ फासले
जरूर हुए थे, जो देख सकता हूँ नक्शों में आज भी
पर कुछ
खाइयाँ ना जाने कबसे गहराती चली गयी
और मैं
जान ना सका
शायद
तुम्हारी आखों ने बदलती दुनिया को पढ़ना सीख लिया
और मैं ना
पढ़ पाया तुम्हारी मासूम सी आँखों का बदला रंग
तभी डोर बेल
के संग हकीकत के दरवाजे पे दस्तक हुई
और दरवाजा
यादों का खुद-ब-खुद बंद हो गया
कभी फिरसे
मौका मिले तो शायद जान पाउँगा वो बात
कि आखिर
क्यों ?
यादों के दरवाजे के आर-पार ही सिमट के हर गयी हमारी
मुलाकात
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