Tuesday 2 August 2011

अदरक वाली चाय...


स्वाद संग प्याली भी कुछ छोटी होती जा रही है
और बेचने वाले भी इसे हाफ और फुल के नाम से बुलाते हैं
मेरे लिए तो चाय के मायने वो अदरक वाली चाय ही थी
जिसके लिए पास मेरे फुरसत हर वक़्त थी...

अब तो रस्म निभाने के लिए टी-ब्रेक लेता हूँ
और एक रंगीन-सा पानी पीता हूँ
जिसे कुछ लोग चाय कहते हैं
थोडा-सा मायूस होता हूँ मैं जरूर
पर शायद हालातों से भी हूँ मजबूर...

वो अदरक वाली चाय तो आज भी महक रही है
ढाबे पर पिघलते मक्खन और परांठों संग
एग्जाम की रातों में अपने सिपाही यारों और पारले -जी संग
मोस्ट ऑफ़ दि टाइम, एनर्जी ड्रिंक के तौर पर यूँही धुंवे के गुब्बारों संग
और घर में माँ के हाथों के स्वाद और प्यार संग...

वो अदरक वाली चाय सच में खुशबू दे रही है
महकती हुई गरमा-गरम यादों के कोनो में कहीं ना कहीं...

2 comments:

  1. bahut khoob dost......
    sach mein wo adrak ki chai aur wo suhani thand ....
    kya din the wo bhi.......
    wo adrak ki chai aur wo dhabe ke parathe, doston ke sang.... :):)

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  2. grtt wrk buddy....

    mazaa aa gya yrrr...vo adrak wali chaii ki khoosboo toh shi me mehsus h gyi...:):)

    God bless u..!!!!

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